5 घरेलू रोजमर्रा की चीजें जिनसे कैंसर होता है । Cancer Ke Karan, cause of cancer
कैंसर के बारे में जानें ( know about cancer )
कैंसर आज किसी बुरे सपने से कम नहीं है, क्योंकि इसका कोई समुचित इलाज नहीं है जिसके बल पर यह कहा जा सके कि हां यह इलाज कैंसर का दुश्मन है । आम आदमी की बात छोड़िए , अरबपति भी कैंसर से अपने आपको बचा नहीं सके । हां, इलाज के बल पर जीवन रेखा को बढ़ाया जा सकता है । युवराज सिंह, मनीषा कोइराला, सोनाली बेंद्रे, अनुराग बसु और ह्यू जैकमैन जैसे प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय सेलेब्रिटीज़ भी कैंसर से पीड़ित रह चुके हैं । हालांकि ये लोग कैंसर से उचित और उच्चकोटि के इलाज के कारण जीवित बच गए ।
कैंसर के उपचार के बाद भी यह जरूरी नहीं कि वह व्यक्ति जीवित रहे । क्योंकि हज़ारों ऐसे केस पाए गए हैं कि कैंसर के उपयुक्त इलाज के बाद भी लोगों की एक दो साल के बाद मौत हो गयी । इसलिए कैंसर जिसे कर्क रोग भी कहा जाता है , से बचाव ही ज्यादा उचित है ।
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कैंसर क्या है ? what is cancer
कैंसर के प्रकार अलग अलग होते है लेकिन कारण लगभग एक ही होता है । हमारे शरीर में प्रति सेकंड करोड़ों कोशिकाएं बनती और मरती है । ऐसे में हमारे शरीर में उपस्थित अवसाद के कारण प्रति सेकंड यह संभावना रहती है कि कौन सी कोशिका कर्क रोग उत्पादक हो । हमारा प्रतिरक्षा तंत्र ( इम्यून सिस्टम ) सदैव हमें बाहरी घातक पदार्थों , जीवाणु, वायरस आदि से बचाता है पर कैंसर उन लोगों में ज्यादा संभावित होता है जिनमें किसी तरह की ऑटो इम्यून बीमारी होती है या फिर कमजोर इम्यून सिस्टम होता है । शरीर में उत्पादित वे कैंसर कोशिकाएं समय के साथ साथ विभाजित होकर अपना स्वरूप बड़ा कर लेती हैं और एक ट्यूमर का रूप ले लेती हैं । इनसे प्रभावित स्थान के अनुसार इनका नाम भी अलग अलग होता है । जैसे - आंत में होने वाला कैंसर कोलन कैंसर कहलाता है , त्वचा की बेसल कोशिकाओं में होने वाले कैंसर को बेसल सेल कार्सिनोमा कहते हैं ।
कैंसर ऐसे रोग को कहा जाता है जिसमें उत्परिवर्तित कोशिका ( सेल म्युटेशन ) हो जाता है और वह बिना किसी नियंत्रण के लगातार विभाजित होती रहती है और अपना एक विशालकाय स्वरूप बना लेती है जिसे मूल रूप से ट्यूमर कहा जाता है । शरीर के किसी भी भाग में लम्बे समय तक गांठ होना , और उस स्थान पर दर्द का बना रहना कैंसर होने की संभावना हो सकती है । कैंसर के कई लक्षण होते हैं जो निम्न हैं -
- शरीर के किसी भाग में ( जो जोड़ न हों जैसे स्तन आदि ) गांठ होना । ( शरीर के प्रमुख जोड़ों में टॉन्सिल पाए जाते हैं जैसे कांख, प्रजनन अंग के दोनों तरफ जंघा पर, और जबड़े के नीचे । ये इम्यून सिस्टम का अंग होते है जिससे शरीर मस्तिष्क से सम्पर्क स्थापित कर इम्यून सिस्टम को चालू करता है । किसी छोटे मोटे इन्फेक्शन जैसे फोड़े फुंसी के होने पर इनमें सूझन आ जाती है जिससे टॉन्सिल में सूजन और दर्द होने लगता है । प्रायः ऐसी गांठ इंफेक्शन के सही होने पर स्वतः ही ठीक हो जाती हैं ।)
- त्वचा में ऐसा निशान तो लम्बे समय से ठीक न हो रहा हो । ( ऐसे निशान जिनमें दर्द या जलन भी होती हो । )
- आवाज का भारी होना या खांसी का ठीक न होना । ( ट्यूबरक्लोसिस अर्थात टीबी में भी खांसी तब तक नहीं ठीक होती जबतक फेफड़ों से इंफेक्शन ठीक न हो जाये । )
- मल और मूत्र की आदतों में परिवर्तन, जैसे कभी सामान्य तो कभी असामान्य ।
- खाना खाने के बाद असहज महसूस होना ।
- वजन का अचानक बिना कारण के बढ़ना या घटना ।
- निगलने में कठिनाई होना ।
- मासिक रक्तस्राव में असमानता ( महिलाओं में )
- हमेशा कमजोरी और थकावट महसूस करना ।
- शरीर के किसी आंतरिक अंगों में सदैव दर्द महसूस होना आदि ।
कैंसर से बचाव - prevention from cancer
- कैंसर के इलाज की नौबत न आये इससे बेहतर है कि आप इससे बचाव करके ही इससे छुटकारा पा सकते हैं । मेडिकल साइंस में अभी तक कैंसर के इलाज के लिए कोई प्रभावी और सस्ता तरीका नहीं ईजाद हो पाया है जो आम आदमी तक सुलभ हो । ऐसे में आप कोशिश करें कि कैंसर जैसी घातक बीमारी से अपने आपको बचा कर ही रखें । और अधिकतर प्राकृतिक चीजों का सहारा लें । क्योंकि आज की पीढ़ी स्वाद के लिए अधिकतर तले भुने खाद्य पदार्थ ज्यादा प्रयोग करती है । कैंसर के परीक्षण के दौरान यह पाया गया कि वे लोग जो प्रायः अधिक वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करते थे उनमें कैंसर होने की संभावना लगभग 30% तक बढ़ जाती है । इसलिए कोशिश करें कि कम वसा वाले खाद्य पदार्थ प्रयोग में लाएं और बनावटी खाद्य पदार्थों से दूरी बनाकर रखें ।
- भारत में कैंसर के रोगियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और इसके लिए जिम्मेदार पर्यावरण प्रदूषण भी है । भारत के महानगरों में प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक है । ऐसे में हर व्यक्ति न चाहते हुए भी प्रतिदिन लगभग 4 सिगरेट के बराबर कार्बनडाई ऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी घातक गैसें अपने अंदर ले रहा है । ये हानिकारक पदार्थ फेफड़ों से हमारे रक्त में पहुँचकर कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त करते हैं जिससे कैंसर कोशिका के बनने की संभावना बढ़ जाती है ।
- तम्बाकू और धूम्रपान का सेवन भारत में कैंसर जैसे घातक रोगों का प्रमुख कारण है । अभी तक भारत में कैंसर के करीब 16 लाख रोगी हैं जिनमें से करीब 11 लाख लोग तम्बाकू और धूम्रपान का सेवन करते हैं । स्वस्थ संगठन की मानें तो भारत में इस सदी के अंत तक लगभग 80 लाख लोग कैंसर से पीड़ित होंगे । तो बेहतर है कि आप कैंसर से बचना चाहते हैं तो आज ही धूम्रपान और गुटखा तम्बाकू का सेवन बन्द कर दें ।
- पूरी दुनिया में यह माना जा चुका है कि प्रतिदिन व्यायाम करना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है । नियमित व्यायाम करना हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत रखता है और साथ ही हमारे मेटाबॉलिज्म को सक्रिय रखता है । जिससे आप पूरे दिन ऊर्जावान महसूस करेंगे और साथ ही कैंसर के साथ साथ विभिन्न रोगों से सुरक्षित रहेंगे ।
घरेलू वस्तुएं जो बनती हैं कैंसर के कारण - Domestic things which may cause cancer
आपको यह जानकर बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा कि आपके आस पास दिखने वाली प्यारी सी चीजें भी कैंसर का कारण बन सकती हैं । क्या आप जानते हैं कि आपके द्वारा प्रयोग किया जाने वाला बल्ब और टूथपेस्ट भी कैंसर का कारण है । अगर नहीं तो एक बार नीचे दी गयी लिस्ट पढें और गंभीरता से विचार करें ।
- टूथपेस्ट ( toothpaste )
- ट्यूब लाइट ( tubelight )
- तम्बाकू धूम्रपान का सेवन ( use of tobacco and smoking )
- अलुमिनियम प्रेशर कुकर ( aluminum pressure cooker )
- अधिक अल्कोहल का सेवन ( use of exessive alcohol )
टूथपेस्ट-
टूथपेस्ट तो लगभग हर किसी के द्वारा उपयोग में लाया जाता है परंतु क्या आप जानते हैं कि टूथपेस्ट में उपयोग किया जाने वाला रसायन सोडियम लौरिल सल्फेट कैंसर के कारणों में से एक है ।
ट्यूब लाइट
आपको यह जानकर भले ही आश्चर्य हो पर हकीकत में ऐसा होता है । आपके घर में उपयोग में लाया जाने वाला बल्ब जैसे एलईडी , सीएफएल , ट्यूब लाइट आदि कैंसर का कारण बनते हैं । जिनमें प्रयोग की जाने वाली निष्क्रिय गैस आर्गन से होकर प्रकाश गुजरता है, इस कारण वैज्ञानिकों का मानना है की इससे त्वचा में कैंसर हो सकता है ।
अलुमिनियम प्रेशर कुकर
जानकर थोड़ा अटपटा लगेगा आपको लेकिन यह आपको कैंसर जैसी घातक बीमारी दे सकता है । सामान्य तौर पर 10 से 100 मिलीग्राम तक की मात्रा मानव शरीर के लिए सुरक्षित मानी जाती है जो भोजन या अन्य माध्यम से हमें मिल जाती है लेकिन जब आप अपने भोजन को अलुमिनियम के बर्तन में पकाते हैं तब इसकी मात्रा खतरनाक रूप से 500 मिलीग्राम तक पहुच जाती है जो एक प्रकार से धीमा जहर का काम करता है । चिकित्सा विज्ञान में अलुमिनियम टॉक्सिसिटी ( अलुमिनियम विष ) एक खतरनाक और आपात स्थिति है जिसमें प्रभावित व्यक्ति की जान जा सकती है । इतिहास में भारतीय कैदियों को शारीरिक रूप से कमजोर करने के लिए अंग्रेज अलुमिनियम के बर्तनों में खाना बनाया करते थे । अलुमिनियम की मात्रा बढ़ जाने से रक्तवाहिनियाँ कमजोर होने लगती है और रक्तविकार उत्पन्न होने लगता है । फलस्वरूप कैंसर होने की संभावना 70% तक बढ़ जाती है ।
यह जानकर आपको निराशा होगी कि कैंसर को घरेलू उपचार से ठीक नहीं किया जा सकता । कैंसर की कोशिकाओं को हमारा इम्यून सिस्टम भी नष्ट करने में असमर्थ होता है , यह कैंसर को और भी डरावनी बीमारी बनाती है । कैंसर के इलाज के लिए अभी तक किसी भी ऐसी आयुर्वेदिक या एलोपैथी दवा को नहीं बनाया जा सका है जो कैंसर का इलाज ठोस रूप से कर सके । परंतु यह जानकर आपको काफी हद तक राहत मिलेगी की आयुर्वेदिक कुछ नुस्खों के द्वारा आप कैंसर को काफी हद तक नियंत्रित कर सकते हैं कैंसर के आयुर्वेदिक कारक नीचे बताए गए हैं ।
कैंसर के घरेलू उपचार- ( domestic cure of cancer )
हल्दी ( turmeric )
हल्दी प्राकृतिक वह वरदान है जो मानव शरीर की कई रोगों से सुरक्षा कर सकती हैं । हल्दी में प्रचुर मात्रा में करक्यूमिन नाम का एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है जो शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाने में और शरीर के विभिन्न भागों की मरम्मत करने में बहुत अधिक उपयोगी है । इसके अतिरिक्त हल्दी में एंटी इन्फ्लेमेटरी एंटी फंगल एंटी वायरल एंटीबैक्टीरियल तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते हैं जो शरीर से अपशिष्ट पदार्थों और विभिन्न प्रकार के वायरस और बैक्टीरिया को मारने का काम करते हैं । कुछ परीक्षणों में यह पाया गया की हल्दी कैंसर के प्रभाव को काफी हद तक कम करने में शरीर की मदद करती है । यहां तक कि कई ऐसे लोग जो कैंसर से पीड़ित थे उन्होंने हल्दी का सेवन शुरू किया और करीब 6 महीने तक लगातार सेवन करने के बाद जांच में पता चला कि काफी हद तक उनका कैंसर ठीक हो चुका है । इसलिए हल्दी को कैंसर खत्म करने का सबसे शक्तिशाली आयुर्वेदिक नुस्खा माना जाता है । कैंसर को खत्म करने के लिए एंटीऑक्सीडेंट एक अच्छा और शक्तिशाली तरीका माना जाता है ।
हरी सब्जियां ( green vegetables )
अगर कोई कहता है कि हरी सब्जियां अधिक खाना चाहिए तो इसका यह मतलब नहीं है कि वह कुछ ज्यादा ही सात्विक है या फिर वह आपसे जलता है कि कहीं आप उससे बेहतर खाना तो नहीं खाते । हरी सब्जियां वास्तव में एंटीऑक्सिडेंट का बहुत अच्छा स्रोत होती हैं । एंटीऑक्सीडेंट का काम शरीर में तेजी से ऑक्सीजन का वितरण करना और शरीर से अवसाद को जल्दी से जल्दी बाहर निकालना होता है । इसके अलावा हरी सब्जियों में कैरोटिनॉइड प्रचुर मात्रा पाया जाता है जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट माना जाता है ।
लहसुन ( garlic )
हिन्दू सनातन धर्म के अनुसार प्याज और लहसुन खाना वर्जित होता है क्योंकि धार्मिक मान्यता के अनुसार लहसुन और प्याज गर्म तासीर के पदार्थ हैं जो एक सात्विक जीवन के लिए उपयुक्त नहीं होता । लेकिन चिकित्सा विज्ञान के अनुसार प्याज और लहसुन प्राकृतिक एंटीबायोटिक और मिनरल्स के अच्छे स्रोत माने जाते हैं । साथ ही इनमें अमीनो एसिड पाए जाते हैं जो शरीर के मेटाबॉलिज्म और उत्सर्जन तंत्र को शक्ति प्रदान करते हैं जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में शरीर की मदद करता है । लहसुन में ऑर्गेनिक सल्फाइड और पॉलीसल्फाइड पाए जाते हैं जो टयूमर को नष्ट करने का काम करते हैं इसके अतिरिक्त लहसुन कैंसर कोशिकाओं के विभाजित होने मैं भी रोकथाम करता है क्योंकि यह उन कोशिकाओं की ऊर्जा स्रोत को कमजोर कर देता है जिससे वे अपनी जैसी और कोशिकाएं नहीं पैदा कर पाते ।
ग्रीन टी ( green tea )
पूरी दुनिया में ग्रीन टी एक बेहतरीन एंटी ऑक्सीडेंट के रूप में प्रयोग की जाती है । ग्रीन टी में वैसे तो बहुत अधिक व कई तरह के शारीरिक लाभ पहुंचाने वाले तत्व पाए जाते हैं जैसे कि मोटापा रक्त शुद्धीकरण लीवर किडनी और ह्रदय को शक्ति प्रदान करने जैसे लाभ पाए जाते हैं । साथ ही प्रोस्टेट ग्रंथि में भी ग्रीन टी लाभकारी होती है । चिकित्सा विज्ञान के द्वारा यह प्रमाणित किया जा चुका है की ग्रीन टी में पाया जाने वाला एंटी ऑक्सीडेंट Epigallocatechin कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने का एक शक्तिशाली माध्यम है ।
अलसी ( flax seeds )
आज के आधुनिक समय में रिफाइंड तेल जैसे हानिकारक पदार्थों को भोजन बनाने में प्रयोग में लिया जाता है जबकि प्राचीन समय में सरसों और अलसी के तेल जैसे पदार्थों का उपयोग होता था अलसी में प्रचुर मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड और डाइटरी फाइबर पाया जाता है जो हृदय और कोशिकीय संरचना को बेहतर बनाने का शक्तिशाली माध्यम होता है । इसके अतिरिक्त अलसी में लिग्निन नाम का तत्व पाया जाता है जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में एक प्रभावी भूमिका निभाता है । चूहे में किए गए प्रयोग में यह पता चला के कैंसर से प्रभावित चूहे के शरीर में लिग्निन नाम का यह पदार्थ इंजेक्ट करने पर कुछ समय बाद चूहे के शरीर में हो चुके वे कैंसर के ट्यूमर कम होने लगे ।
उपसंहार ( conclusion )
कैंसर वह बला है जिसका अभी तक कोई ठोस उपचार नहीं बन सका है । तो आप भला ऐसे व्यक्ति से क्यों लड़ना चाहेंगे जिससे आप जीत ही नहीं सकते । कैंसर से उपचार का एकमात्र साधन है कैंसर से बचाव । ऊपर बताई गई जानकारी आपको कैंसर से बचने के लिए दी गयी है । अधिक से अधिक प्राकृतिक बनें, क्योंकि मानव निर्मित प्रत्येक वस्तु के हानि और लाभ दोनों होते हैं । जिसमें ज्यादातर हानियाँ बहुत बड़ी होती है । आधुनिक होना गलत नहीं है पर उससे होने वाली हानियों से हमें अपनी सुरक्षा अवश्य करनी चाहिए और लोगों को जागरूक करना चाहिए ।
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