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बुधवार, 11 सितंबर 2019

बिजली की खोज किसने की, Bijli Ki Khoj - hindivigyan

वैज्ञानिक जिसने की थी बिजली की खोज | Who was inventor of electricity



बिजली, thunder

इस बात में कोई दो राय नहीं कि आज आधुनिक युग बिना बिजली के संभव नहीं है ।



बिजली आज के समय में सबसे आवश्यक ऊर्जा स्रोतों में से एक है जो आधुनिक युग में लगभग हर यंत्र को ऊर्जा प्रदान करती है ।

यानी कि कुल मिलाकर हम बिना बिजली के आधुनिक तकनीक और लाभों की कल्पना नहीं कर सकते हैं । और इस लिए हमें उस शख्स को दिल से धन्यवाद देना चाहिए जिसने बिजली को आम जनमानस के उपयोग करने लायक बनाया और इसकी खोज की ।

Introduction to electricity ( बिजली का परिचय )

बिजली वह ऊर्जा है जिसे हमने प्रायः छू जाने पर एक जबरदस्त झटके से महसूस किया है , बादलों में चमकते हुए देखा है, किसी उपकरण को जोड़ने पर उसे अपनी प्रतिक्रिया देते हुए देखा है परंतु बिजली का वैज्ञानिक तत्व क्या है यह अब हम जानते हैं ।

हमने विद्यालय में यह सीखा है कि बिजली एक तरह की ऊर्जा है जिसे इलेक्ट्रॉन कहते हैं । परंतु आइए जानते हैं कि बिजली क्या है ?

बिजली एक तरह की ऊर्जा है जैसे कि हम अन्य ऊर्जाओं को महसूस कर सकते हैं जैसे ऊष्मा, चुम्बकीय , गति आदि । उसी प्रकार बिजली भी इलेक्ट्रॉन के निरंतर बहाव से उत्पन्न ऊर्जा को कहते हैं ।

परमाणु नाभिक का नकारात्मक चार्जड कणो से घिरा होना एक इलेक्ट्रान का निर्माण करता है । इलेक्ट्रान का नकारात्मक आवेश ( चार्ज ) प्रोटोन के सकारात्मक आवेश के बराबर होता है ।

एक परमाणु में इलेक्ट्रान की संख्या प्रोटोन की संख्या के बराबर होती है । जब इलेक्ट्रान और प्रोटोन का संतुलन बल किसी बाहरी बल के कारण प्रभावित होता है तो एक परमाणु में एक इलेक्ट्रान बढ़ या घट जाता है तो ये इलेक्ट्रान परमाणु से मुक्त या खो जाते हैं , इन्ही इलेक्ट्रान के मुक्त बहाव को विद्युत करंट कहा जाता है । 



बिजली प्रकृति का अभिन्न हिस्सा है और इसमें कोई दो राय नहीं है कि इसे वृहद रूप से उपयोग में लायी जाती है ।

बिजली अन्य ऊर्जा का परिवर्तित रूप भी कहा जा सकता है जैसे कोयला , प्राकृतिक गैस , तेल एवं परमाणु ऊर्जा । इसके अतिरिक्त नदियों एवं जल स्रोतों में बांध बनाकर कई देशों में बिजली उत्पादन किया जाता है । 

Father of electricity ( बिजली के जनक )

इंटरनेट पर आपको अलग अलग मत मिलेंगे , कोई कहता है माइकल फैराडे ने बिजली का अविष्कार किया तो कोई कहता है कि बेंजामिन फ्रैंकलिन ने बिजली की खोज की । बादलों में विद्युत आवेश की खोज बेंजामिन फ्रैंकलिन ने ही की थी ।

हम आपको यह मतभेद पूरी तरह साफ कर देंगे । दरअसल कंप्यूटर और कुछ अविष्कारों की तरह बिजली का अविष्कार इतिहास काफी लंबा है ।

अगर भारतीय सभ्यता की बात करें तो प्राचीन काल में वैदिक काल के महर्षि अगस्त्य ने ऋग्वेद की शुरुआती ऋचाओं को बताया था । सनातन संस्कृति की माने तो महर्षि अगस्त्य मंत्रदृष्टा ऋषि हैं जिन्होंने मंत्रों की शक्ति को देखा था ।

ऋग्वेद की प्रारंभिक ऋचाओं में विद्युत संग्रह करने के सेल बनाने का वैज्ञानिक विवरण पाया जाता है । 

प्राचीन यूनान और मिस्र में इलेक्ट्रिक ईल मछली को दैविक मछली माना जाता था क्योंकि उनकी मान्यता थी कि वह बाकी मछलियों की रक्षक है और उसे 'थंडरर ऑफ नील' नाम दिया गया था ।

यहां तक कि उसके द्वारा सिर दर्द और अर्थराइटिस जैसी बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग में लाया जाता था क्योंकि उनका मानना था कि उस मछली की दैविक ऊर्जा उनका इलाज कर सकती है ।  

पुरातात्विक रिपोर्ट की मानें तो प्राचीन मिस्र में बैटरी जैसे यंत्र की शिल्पकारी पिरामिडों और प्राचीन मिस्र के अवशेषों में पाई जाती है ।

1646 में अंग्रेजी इतिहास में बिजली का अंग्रेजी शब्द इलेक्ट्रिसिटी उपयोग किया गया था । 18वीं शताब्दी बिजली के इतिहास में नया मोड़ लेकर आई जब बेंजामिन फ्रैंकलिन ने अपने एक प्रयोग से भौतिक विज्ञान को एक नई विधा प्रदान की ।

बेंजामिन फ्रैंकलिन ने एक तूफानी दिन में  बरसात के मौसम में पतंग को उड़ा दिया, जब बिजली कड़कती तो उन्हें अजीब सी ऊर्जा महसूस होती , उन्होंने उसके धागे में एक चाभी बांध दी और देखा कि उस स्थान पर चमक उठ रही है जिस स्थान पर चाभी बंधी हुई है । इस तरह उन्होंने यह ज्ञात किया कि बिजली तो प्रकृति में भी उपलब्ध है ।

बेंजामिन फ्रैंकलिन के अलावा माइकल फैराडे ने 1821 में बिजली से चलने वाली मोटर का अविष्कार किया जिसने औद्योगिक क्षेत्र में क्रांति ला दी ।

इसके अतिरिक्त अलेसन्द्रों वोल्टा ने ऊर्जा इकट्ठा करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक बैटरी का अविष्कार किया ।

जॉर्ज ओम ने बिजली को गणितीय माला में पिरोया जिससे बिजली के उपकरणों में विद्युत प्रवाह को एक निश्चित मानक में ले जाया जाना सम्भव हुआ ।

History of electricity ( बिजली का इतिहास )

महर्षि अगस्त्य के द्वारा बिजली का वर्णन ( Electricity explaination by Maharshi Agastya )

बिजली का इतिहास विज्ञान जगत में बड़ा ही लंबा था । बिजली का अविष्कार कई शताब्दियों से विकसित होता रहा था जिसमें वैदिक काल से आधुनिक विश्व का योगदान रहा है |

वैदिक समय में महर्षि द्वारा बताये गए नमूने आज भी विज्ञान के मानदंड पर पूरी तरह खरे उतरते हैं | क्योंकि यदि हम उन तकनीक और तरीके का पालन करें तो रासायनिक बिजली उत्पन्न की जा सकती है |

अगस्त्य के अगस्त्य संहिता के अनुसार ऐसा बताया गया है की एक मिटटी का पात्र लें और उसमें ताम्बे की पट्टी लगाइए और कॉपर सलफेट ( शिखिग्रिवा ) डालें , फिर गीली काष्ठ पांसु लगाइए , ऊपर पारा और दस्त लोष्ठ अर्थात जिंक डालें |

इस तरह मिस्रावरुणशक्ति अर्थात विद्युत् का निर्माण होता जिसे हम बिजली कहते हैं |

प्राचीन मिस्र में बिजली का इतिहास ( Electricity history in ancient Egypt )

प्राचीन मिस्र में लोग बिजली को देवताओं की शक्ति का स्वरूप मानते थे | और इस तरह वे आज की इलेक्ट्रिक ईल मछली को देवताओं का दूत मानते थे और उनकी अवधारणा के अनुसार वह मछलियों की रक्षक मानी जाती थी |

मिस्र के लोग इसे दिमाग से सम्बंधित इलाज और आर्थराइटिस जैसी बिमारियों के इलाज में इसे उपयोग में लाया करते थे |

प्राचीन मिस्र में बगदाद नाम की प्राचीन बैटरी का अस्तित्व पाया गया है जिसपर उपयोग किये गए तकनीक और रसायन का उपयोग करके ठीक उसी तरह की बैटरी बनाई गयी थी और शायद आपको भरोसा न हो पर उस बैटरी ने 3 वोल्ट की उर्जा प्रदान की थी |

तो इस बात से यह नाकारा नहीं जा सकता की प्राचीन समय के विज्ञान को अपग्रेड करके ही आधुनिक विज्ञान बनाया गया है |

बिजली की परिभाषा ( Definition of electricity )

तमाम वैज्ञानिक स्रोतों से आपने यह तो जान ही लिया होगा की विज्ञान कहता है उर्जा ख़त्म नहीं की जा सकती , मात्र उसे एक रूप से दुसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है |

बिजली भी एक उर्जा के दुसरे उर्जा में परिवर्तन को कहते हैं | इलेक्ट्रान की धारा विद्युत कहलाती है जो किसी परमाणु के विखंडन में किसी बाह्य ऊर्जा द्वारा परमाणु के इलेक्ट्रान और प्रोटोन संतुलन बिगड़कर मुक्त रूप से परमाणु से विखंडित होते है तो उनका बहाव ही बिजली बन जाता है ।

बिजली के प्रवाह को वोल्ट और घनत्व को एम्पियर कहा जाता है ।

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि किसी भी प्राणी की मृत्य वोल्ट यानी बिजली प्रवाह से नहीं बल्कि एम्पियर यानी विद्युत घनत्व से होती है ।

बिजली के प्रकार ( Types of electricity )

बचपन से आज तक हमने जो बिजली देखी है वह सिर्फ एक ही प्रकार की है । जिसका उपयोग हम घरेलू कामकाज, मनोरंजन एवं मशीनों को चलाने के उपयोग में ला सकते हैं ।मूल रूप से बिजली 2 प्रकार की होती हैं ।
  1. स्थिर या स्टैटिक बिजली ( Static Electricity )
  2. करंट बिजली या प्रवाह बिजली ( current Electricity )

स्थिर विद्युत ( Static Electricity )

इस प्रकार की ऊर्जा में घर्षण बल का उपयोग किया जाता है , यह ऊर्जा स्थाई रूप से उस वस्तु या पदार्थ में संरक्षित हो जाती जैसे उदाहरण के तौर पर आप कंघी को बालों पर रगड़ने पर देखते है कि वह छोटे छोटे कागज के टुकड़ों को आकर्षित करने लगता है ।

प्रत्येक पदार्थ में न्यूट्रल चार्ज होता है ठीक उसी प्रकार आप कंघी को बालों से रगड़ते हैं तो कंघी और बालों के आवेश एक दूसरे के साथ अदलाबदली करते हैं , और इस प्रकार उनमें इलेक्ट्रॉनिक चार्ज यानी विद्युत आवेश उत्पन्न होता है ।


प्रवाह विद्युत ( Current Electricity )

इस प्रकार की बिजली को इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह की दर या घनत्व माना जाता है । ये गतिमान इलेक्ट्रॉन्स होते हैं जिन्हें एम्पियर में मापा जाता है ।

ये स्थिर विद्युत की तरह नहीं होती क्योंकि स्थिर विद्युत एक कुचालक में रह सकती है पर प्रवाह विद्युत को धातु या किसी अन्य सुचालक की आवश्यकता होती है ।

करंट को विद्युत प्रवाह की इकाई माना जा सकता है, अगर हम करंट को नदी मान लें तो पानी को इलेक्ट्रॉन्स का बहाव मान सकते हैं । प्रवाह विद्युत का एक लक्षण सुचालकों में गर्मी उत्पन्न करना भी है जैसे घर में रखा हुआ इलेक्ट्रिक हीटर गर्म होता है ।

इसके अतिरिक्त ये धातु सुचालकों की कुंडली में जाकर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है । इससे उल्टा एक चुम्बकीय आवरण में तांबे के धातु से बने कुंडली में जब घुमाया जाता है तब बिजली उत्पादन होता है । करंट दो प्रकार के होते हैं । 
  1. डायरेक्ट करंट -Direct Current( सीधा या प्रत्यक्ष करंट )
  2. अल्टरनेटिव करंट Alternative current ( अप्रत्यक्ष या टेढ़ा मेढ़ा करंट )
डायरेक्ट करंट वह है जिसे आप बैटरी समझ सकते हैं । डायरेक्ट करंट की सुचालक आवृत्ति सीधी होती है । ये करंट मानव शरीर के लिए नुकसानदेह नहीं होता ।

इसके विपरीत अल्टरनेटिव करंट की आवृत्ति टेढ़ी मेढ़ी होती है । ये करंट में प्रवाह सदैव इतना तो रहता है कि एक व्यक्ति को क्षति पहुँचा सके ।
बिजली के उपयोग ( Usage of electricity )
अल्टरनेटिव करंट से हर प्रकार के औद्योगिक उपकरणों और घरेलू उपकरणों को चलाया जा सकता है जबकि डायरेक्ट करंट ऐसा नहीं कर सकता ।

आवृत्ति को छोड़कर डायरेक्ट करंट अल्टरनेटिव करंट का छोटा रूप होता है । आज विज्ञान बहुत ही आगे पहुँच चुका है और जिससे उपकरणों में प्रतिदिन नए नए उत्पादन होते है जिससे बिजली एक अत्यंत आवश्यक इकाई बन चुका है ।

बिजली का उपयोग रेफ्रिजरेटर में ठंडी के लिए, हीटर द्वारा गर्मी उत्पादन, कॉपर कॉइल द्वारा चुम्बक उत्पादन और बल्ब द्वारा प्रकाश उत्पन्न करने आदि में उपयोग में लाया जाता है ।
उपसंहार ( Conclusion )
कुल मिलाकर कहा जाए तो बिजली या फिर कोई अन्य अविष्कार हो, जबतक वह विज्ञान के राडार में नहीं आता तबतक वह एक सामान्य चीज है या फिर कोई चमत्कार , परंतु विज्ञान के अध्ययन से उस वस्तु या कारक का गहन अध्ययन किया जाता है तब वह अपने वृहद और अलौकिक स्वरूप में दिखाई देती है ।

बिजली जिसे प्राचीन काल में मात्र एक अलौकिक शक्ति मानी जाती थी, आज वह मानव जाति के लिए सबसे उपयोगी साधनों में से एक है ।

सारांश
वर्तमान समय बिजली के बिना अधूरा सा लगता है | अगर एक मिनट के लिए बिजली चली जाए तो हम परेशान हो जाते हैं | या फिर यह कहें कि बिजली हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुकी है | 

आधुनिक समय में लगभग हर उपकरण बिजली से ही चल रहा है | पर बिजली का आविष्कार होना इतना सामान्य नहीं था जितना आज के समय में लगता है | वास्तव में बिजली का आविष्कार नहीं बल्कि खोज की गयी थी क्योंकि यह प्राकृतिक भौतिकी में उपस्थित है जैसे की आप बरसात के मौसम मैं बादलों में देखते हैं|

वास्तव में बिजली को बादलों की बिजली से ही देख कर बनाया गया | सन् 1752 में बेंजामिन फ्रेंक्लिन ने देखा कि आसमान में बिजली चमक रही थी | 

उनको यह जानने की इच्छा हुई की यह आखिर है क्या ? उन्होंने यह जानने के लिए एक पतंग को हवा में उड़ा दिया | जब तक उनकी पतंग का धागा सूखा रहा तब तक उनको बिजली के प्रभाव का एहसास ही नहीं हुआ |

लेकिन थोड़ी देर बाद जैसे ही बारिश शुरू हुई , बिजली जैसे ही चमकती उनको एहसास होता की उनको किसी तरह का झटका लग रहा है |तब उनकी जिज्ञासा बढ़ी| उन्होंने एक लोहे की छड में उस धागे को बांध दिया | 

मगर ये क्या ? अब जो चीज उनको झटके दे रही थी वह अब एकदम धीमा सा प्रकाश उत्पन्न करने लगी थी | तब उन्होंने उस विषय पर गहन अध्ययन किया और उसे उत्पादित करने का तरीका खोज निकाला |

इस से प्राचीन समय की बात करें तो रोम में सन् 1930 में पुरातत्व विभाग द्वारा खोजे गए थे तांबे के बर्तन जो बिजली की बैटरी बनाने में काम में लाये गए थे | 

इसके अलावा लगभग 600 ईसा पूर्व यूनान निवासियों को यह जानकारी थी की कुछ विशेष वस्तुओं को रगड़ने पर वह छोटे-छोटे चुम्बकीय टुकड़ों या कागज के टुकड़ों को आकर्षित करता है | 

बेंजामिन फ्रेंक्लिन द्वारा की गयी खोज के बाद 17वीं शताब्दी में बिजली से सम्बंधित कई सारे आविष्कार हुए जो बिजली से क्षेत्र में क्रांतिकारी रहे जैसे की सन् 1800 में इटली के भौतिक शास्त्री अलेस्संद्रो वोल्टा ने रासायनिक प्रक्रियाओं से इलेक्ट्रानिक बैटरी का बनाया जाना | 

या फिर सन् 1831 में माइकल फैराडे द्वारा इलेक्ट्रिक डायनमो बनाना | इस यन्त्र में एक चुम्बक की कुंडली में तांबे की कुंडली घुमती थी और बिजली उत्पन्न करती थी |

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