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शुक्रवार, 7 मई 2021

नीलगिरी या यूकेलिप्टस का पेड़, Eucalyptus tree in Hindi - Hindivigyan.in

सफेदा का पेड़

अक्सर हमनें अपने आस पास कई ऐसे पेड़ देखे होंगे जो थोड़े अलग तरह की बनावट और गुणों के होते हैं । ऐसा ही आपने एक ऐसा पेड़ देखा होगा जिसकी बनावट एकदम सरपट सीधे पेड़ के रूप में हुई होगी । जिसका तना सफेद होगा और एक निराली तरह की पत्तियां होंगी । 

इस पेड़ का नाम है यूकेलिप्टस ( Eucalyptus ) जिसे हिंदी में लोग सफेदा या नीलगिरी का पेड़ बोलते हैं । आइये जानते हैं सफेदा नाम के इस पौधे के कुछ हैरान कर देने वाले कुछ रोचक तथ्य ।

सफेदा


सफेदा का पेड़

सफेदा का पेड़ आकार में बेहद लंबा और सरपट होता है जिससे इसमें चढ़ने में लोगों को थोड़ा कठिनाई होती है। हालांकि नारियल का पेड़ भी सरपट लंबा होता है लेकिन नारियल आमतौर पर खुरदुरा होता है जिससे उसमें चढ़ना थोड़ा आसान होता है लेकिन सफेदा का पेड़ एकदम चिकने तने का होता है इसलिए इसमें चढ़ना थोड़ा कठिन होता है । 

वैज्ञानिकों के अनुसार ये पेड़ 35 से 50 मिलियन वर्ष ( 3 करोड़ 50 लाख वर्ष से 5 करोड़ वर्ष ) पहले ये पृथ्वी पर अस्तित्व में आये थे । 

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सफेदा का पेड़ कहाँ उगाया जाता है ?

सफेदा के पेड़ को बहुत अधिक मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है । इसलिए आमतौर पर इसे दलदली स्थानों में पानी सुखाने के लिए किया जाता है । ये अधिक वर्षा वाले स्थानों में सर्वाधिक पाया जाता है । लेकिन आजकल इसे व्यावसायिक उद्देश्य के लिए लोग हर जगह उगाते हैं ।

सफेदा का पेड़ कैसा होता है?

सफेदा का पेड़ जड़ से लेकर तने तक पूरी तरह से चिकना और सफेद रंग का होता है इसलिए इसे सफेदा कहा जाता है । इसकी लकड़ी बेहद मजबूत और लचीली होती है इस कारण मार्किट में इसकी मांग भी बहुत अधिक होती है । 

इसकी लकड़ी का प्रयोग प्लाई बोर्ड बनाने और कागज बनाने के लिए लुगदी बनाने में उपयोग किया जाता है । इसकी लकड़ी काफी लंबे समय तक मजबूत बनी रहती है इसलिए इसे दरवाजों और फर्नीचर बनाने में भी उपयोग किया जाता है ।

सफेदा का फूल


सफेदा का पेड़ प्राइस

अगर आप इस पौधे को भारत में खरीदना चाहते हैं तो इसका क्रय मूल्य औसतन आपको 6 से 12 रुपये तक मिल सकता है । और इसके तैयार होने में लगभग 10 वर्ष का समय लग जाता है । 

अगर आप पौधों की अच्छी कीमत चाहते हैं तो इसे कम से कम 5 वर्ष से अधिक तक उगने दें । हालांकि इसे उगने के लिए बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है । वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो आमतौर पर सफेदा को प्रतिदिन औसतन 12 लीटर पानी की आवश्यकता होती है । और साथ ही गोबर की खाद या रासायनिक उर्वरकों का भी उपयोग चाहिए होता है । 

सफेदा पेड़ का उपयोग 

इस पेड़ का उपयोग लकड़ी और तेल के लिए मूल रूप से किया जाता है । इसकी लकड़ी बेहद मजबूत और लचीली होती है जो कि फर्नीचर दरवाजे और प्लाई बोर्ड जैसी लकड़ी की वस्तुओं को बनाने में उपयोग में लाया जाता है । 

इसके अलावा इसका उपयोग तेल के लिए भी किया जाता है । इसका तेल अत्यधिक ज्वलनशील और एन्टी बायोटिक गुणों से सम्पन्न होता है जो कि दवा के रूप में भी उपयोग में लाया जाता है । घाव , डेंड्रफ और अनेक त्वचा संबंधी बीमारियों के लिए इसका तेल रामबाण औषधि की तरह काम करता है । 

सफेदा का बीज

सफेदा या यूकेलिप्टस कहाँ पाया जाता है 

सफेदा वैसे तो दुनिया के अलग अलग भागों में पाया जाता है लेकिन सर्वाधिक मात्रा में यह ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका,  यूरोप और दक्षिण अमेरिका में पाया जाता है । 

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सफेदा का पेड़ in english

सफेदा का पेड़ अंग्रेजी में यूकेलिप्टस ( Eucalyptus ) नाम से पुकारा जाता है ।  यूकेलिप्टस मूल रूप से फूल देने वाला वृक्ष होता है । यूकेलिप्टस मूल रूप से यूकेलिप्टस ओबलिका प्रजाति के पौधे होते हैं जो फूल देने वाले होते हैं । दुनिया में सर्वाधिक यूकेलिप्टस ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है । आंकड़ों की मानें तो ऑस्ट्रेलिया के पूरे वन क्षेत्र का तीन चौथाई हिस्सा यूकेलिप्टस पौधे से बना हुआ है ।

ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में अधिकतर आग लगने की समस्याएं सुनने को मिलती हैं पर उनमें से यूकेलिप्टस एक बेहतर विकल्प बन जाता है क्योंकि आग से जल जाने के बाद इनके बीज दोबारा उगने में बेहद सक्षम होते हैं और इस कारण ये ऐसे वन्य क्षेत्रों के पुनर्निर्माण का बेहतर विकल्प है ।

क्या सफेदा मलेरिया से बचाता है ? Safeda ke pedh ke fayde

जी हां, मलेरिया से बचाने में भी कुछ हद तक यूकेलिप्टस भी कारगर होता है । जैसा कि आप जानते हैं कि यूकेलिप्टस पानी को सुखाने में माहिर होता है । मलेरिया के मच्छर का घर जमा हुआ पानी होता है , आस पास इकट्ठा हुए जल में मच्छर रहते हैं जो एक से दूसरे तक मलेरिया इंफेक्शन फैलाते हैं ।

यूकेलिप्टस आसपास इकट्ठा जल को सुखा देता है जो मलेरिया के मच्छर को रहने का स्थान नहीं बचने देते । इसके अतिरिक्त मच्छर यूकेलिप्टस की पत्तियों के धुएं से मर जाते हैं या फिर भाग जाते हैं । यूकेलिप्टस की पत्तियां एंटीबैक्टीरियल गुण युक्त होती हैं जो मच्छर को भगाने का काम भी करती हैं ।

सफेदा का पेड़ दिखाएं 

सफेदा का पेड़


उपरोक्त तस्वीर सफेदा ( यूकेलिप्टस ) के पेड़ को प्रदर्शित करता है । 

सफेदा का पेड़ कैसे उगाए 

सफेदा के पेड़ को उगाने के लिए किसी खास तकनीक की आवश्यकता नहीं होती है । क्योंकि यह ऐसा पेड़ है जो कठिन वातावरण और जलवायु में भी आसानी से उग सकता है । हालांकि ये पेड़ बेहद अधिक मात्रा में जल की खपत करता है इसलिए इसे जल की अधिकता वाले जलवायु में उगाना बेहतर होता है ।

सफेदा के पेड़ को उगाने के लिए मध्यम से लेकर उच्च आर्द्रता वाले स्थान उचित माने जाते हैं क्योंकि इस पौधे को अधिक मात्रा में जल की आवश्यकता होती है । इसे उगाने के लिए ऐसी मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है जो जल को अधिक समय तो धारण कर सके जैसे कि काली और चिकनी मिट्टी । ऐसी मृदा में पौधे अधिक रफ्तार से विकसित होते हैं । जिन्हें उगाने के लिए पौधे के जड़ की लंबाई से 2 इंच गहरा गड्ढा खोदकर इन्हें जमीन पर सीधी तरह से प्लांट कर दिया जाता है ।

पौधे को प्लांट करने के पश्चात उर्वरक जैसे कि गोबर खाद, या खनिज उर्वरक का उपयोग करने पौधे के विकास के लिए उपयोगी माना जाता है । इस बात का मुख्य रूप से ध्यान रखना चाहिए कि पेड़ वर्षा ऋतु के आने से ठीक कुछ समय पहले इसे प्लांट किया जाए क्योंकि वर्षा ऋतु में ये पौधे तेजी से विकास करते हैं और इनकी सिंचाई में आपको ज्यादा मेहनत करने की आवश्यकता नहीं होगी । 

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सफेदा पेड़

हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि इसे अंग्रेजी में यूकेलिप्टस कहा जाता है जबकि हिंदी भाषी क्षेत्रों में इसे सफेदा नाम से उच्चारित किया जाता है । सफेदा कहे जाने का कारण इस पौधे का रंग है । इस पौधे का सम्पूर्ण तना सफेद रंग का होता है इसलिए इसे सफेदा कहा जाता है । 

उम्मीद है इस आर्टिकल में आपको कुछ नया सीखने को और जानने को मिला होगा । ऐसे ही रोचक पोस्ट्स के लिए हमें सब्सक्राइब करें ताकि आप हमारे पोस्ट मिस न करें । 

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